Summary of Book The Intelligent Investor , The Intelligent Investor book summary in hindi ,The Intelligent Investor Book review in hindi , द इंटेलीजेंट इन्वेस्टर किताब का सारांश

THE
INTELLIGENT INVESTOR , आप सभी इस किताब के
लेखक
बेंजामिन
ग्राहम
से
परिचित
होंगे
, जो
दुनिया
के
सबसे
सफल
निवेशक
वारेन
बफेट
के
गुरु
हैं।
एक
गरीब
परिवार
से
होने
के
बावजूद
बेंजामिन
ग्राहम,
कोलंबिया
में
एक
अच्छे
छात्र
बने
और
स्नातक
के
दौरान
उन्होंने
वॉल
स्ट्रीट
पर
नौकरी
के
साथ–साथ
अपने
निवेश
के
करियर
की
शुरुआत
की।
उन्होंने 1949 में
अपने
निवेश
के
सिद्धांतों
को
इस
किताब
‘The Intelligent Investor’ में लिखा, जिसे
वॉरेन
बफेट
, निवेश
पर
लिखी
गई
आज
तक
की
सबसे
बेहतरीन
किताब
कहते
हैं।
आइये आज
हम
इस
किताब
के
बारे
में
बात
करते
हैं
, बेंजामिन
ग्राहम
द्वारा
1949 में
लिखी
गई
द
इंटेलीजेंट
इन्वेस्टर,
निवेश पर
लिखी
गई
संभवतः
सबसे
महत्वपूर्ण
और
असरदार
किताब
है।
यह किताब
निवेश
की
अवधारणा
को
सरल
और
समझने
में
आसान
बनाती
है
, ताकि
एक
आम
इंसान
भी
एक
“समझदार निवेशक”
बन सके।
निवेश (Investment) या सट्टा (Speculation) में अंतर

अपनी किताब में ग्राहम जो पहली बात करते हैं, वो है निवेश और सट्टे के बीच का फर्क।
ग्राहम कहते हैं कि , निवेश में संपत्ति से होने वाले जोखिम/ रिटर्न की गहराई से जाँच–परख की जाती है। एक निवेश मूलधन या प्रारम्भिक निवेश राशि की सुरक्षा और पर्याप्त रिटर्न देने का वादा करता है। दूसरी तरफ, सट्टेबाज़ी में बिना किसी तरह की रिसर्च और जाँच–परख के निवेश करने का फैसला लिया जाता है, जिससे पूंजी का नुकसान होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
आप एक समझदार निवेशक (Intelligent Investor) को कभी भी सिर्फ शेयर की कीमत में बदलाव होने की वजह से स्टॉक पोज़िशन को छोड़ते हुए नहीं देखेंगे। एक समझदार निवेशक हमेशा यही पूछेगा कि क्या कंपनी के तहत आने वाले बिज़नेस की वैल्यू बदल गई है ? और इसी के हिसाब से आगे कोई कदम उठाएगा।
एक तरफ सट्टेबाज़ी करने वाले की दिलचस्पी अनुमान लगाने और बाज़ार में होने वाले उतार–चढ़ाव से फायदा उठाना में होती है। दूसरी तरफ, एक निवेशक की मुख्य दिलचस्पी सही कीमत पर सही सिक्योरिटी या निवेश पाने और
उसे होल्ड करने की होती है।
ज़्यादातर निवेशक इसलिए असफल होते हैं , क्योंकि वे इस बात पर ज़्यादा ध्यान देते हैं ,कि स्टॉक मार्केट मौजूदा समय में कैसा प्रदर्शन कर रहा है ?
मिस्टर मार्केट - Mr. Market

इस किताब के ज़रिए, बेंजामिन ग्राहम, फाइनेंस की दुनिया को बहुत सारी अवधारणाओं के बारे में बताते हैं। मिस्टर मार्केट एक ऐसी ही अवधारणा है जिसने इस इंडस्ट्री में क्रांति ला दी।
किताब में इसे, इस आसान उदाहरण की मदद से समझाया गया है – मान लीजिए, आपकी अपने दूसरे सहभागियों के साथ एक निजी व्यवसाय में हिस्सेदारी है जिसमें आपके 50,000 रुपये लगे हैं। आपका एक सहभागी ‘मिस्टर मार्केट’
के नाम से जाना जाता है। मिस्टर मार्केट आपको या तो व्यवसाय में अपना हिस्सा बेचने या आपका हिस्सा खरीदने का प्रस्ताव देता है।
ज़्यादातर व्यवसाय की कीमत का उसका यह विचार सही लगता है। लेकिन कभी–कभी , उसके द्वारा प्रस्तावित कीमत थोड़ी बेवकूफी भरी लगती है। अगर आप एक समझदार निवेशक हैं , तो आप मिस्टर मार्केट की रोज़ाना की बातों को , एंटरप्राइज़ में अपनी दिलचस्पी निर्धारित नहीं करने देंगे।
जब आप मिस्टर मार्केट के साथ व्यापार करना चाहते हैं, आप उसे सिर्फ तभी बेचना चाहेंगे जब वह आपको काफी ज़्यादा कीमत देने को तैयार हो, और इसी तरह जब उसकी कीमत काफी कम होगी तो उससे खरीदना भी चाहेंगे।
लेकिन बाकी समय,आप अपनी होल्डिंग्स की कीमत , एंटरप्राइज़ से इसके संचालन और वित्तीय स्थिति के बारे में मिलने वाली सभी रिपोर्ट के आधार पर अपने हिसाब से लगाएंगे।
यहाँ मिस्टर मार्किट और कोई नहीं बल्कि हमारा स्टॉक मार्केट है जो हर दिन आपको आपके निवेश किये हुए बिज़नेस का एक नया मूल्य बताता है , और ग्राहम हमें यह समझाते हैं कि समझदार निवेशक कभी भी अपने निवेश के निर्णय को इस मूल्य के उतार या चढ़ाव से निर्धारित नहीं करता है ,बल्कि वह उस व्यवसाय का मूल्य उस एंटरप्राइज या कंपनी के वित्तीय रिपोर्ट्स जैसे प्रॉफिट आनंद लोस्स या बैलेंस शीट या कॅश फ्लो स्टेटमेंट का विश्लेषण करके निर्धारित करता है ,और उस बिज़नेस का वह हिस्सा तब बेचता है जब उसे बाजार में उसका मूल्य काफी ज़्यादा मिल रहा है। इसी प्रकार तब खरीदता है जब बाजार में उस व्यवसाय के हिस्से का मूल्य उसके द्वारा विश्लेषण कर निकाले गए मूल्य से काफी सस्ता मिल रहा हो।
Inflation या मुद्रास्फीति

मिस्टर मार्केट की अवधारणा को समझाने के बाद, ग्राहम मुद्रास्फीति और निवेश का फैसला लेते समय इसकी
भूमिका के बारे में बात करते हैं।
मुद्रास्फीति – ख़ामोश आक्रमणकारी की तरह होती है।
ग्राहम बताते हैं की किस तरह निवेशक अक्सर मुद्रास्फ़ीति को अनदेखा कर देते हैं। 10 साल पहले के एक रुपए की कीमत आज के रुपये की तुलना में बहुत ज़्यादा थी। इसका मतलब ये है कि नकद या कैश रखना एक बेकार निवेश है।
महँगाई को मात देने के लिए हमें नकद का निवेश करना होगा। मनोवैज्ञानिक इसे “पैसे का भ्रम“ कहते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लीजिये एक परिस्थिति में अगर हमारी सैलरी एक साल में 2% बढ़ती है जबकि मुद्रास्फीति दर 4% है, और दूसरी परिस्थिति में अगर मुद्रास्फीति दर 0% है तो सैलरी में 2% कटौती होती है , लेकिन हम पक्के तौर पर पहली परिस्थिति को ज़्यादा बेहतर मानेंगे । जबकि, दोनों ही परिस्थितियों में हम एक जैसी अवस्था में हैं: जो कि मुद्रास्फीति के बाद 2% ख़राब है।
निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को मुद्रास्फ़ीति के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए निवेशक को स्टॉक में लंबे समय के लिए निवेश करना चाहिए। आपको किस तरह का निवेशक होना चाहिए?
उद्यमी और रक्षात्मक निवेशक – Enterprising or Defensive Investor

ग्राहम बताते हैं कि किस तरह ज़्यादा रिटर्न के लिए ज़्यादा जोखिम होता है और कम रिटर्न के लिए कम जोखिम होता है। हालाँकि, एक निवेशक जिस रिटर्न दर की उम्मीद करता है वह सिर्फ जोखिम पर ही नहीं निर्भर करता है बल्कि इस बात पर भी करता है कि वह रिसर्च पर कितना प्रयास करने के लिए तैयार है ?
यह तय करने के लिए कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, उन्होंने कुछ सवालों की सूची बनाई
है जिन्हें आपको खुद से पूछना चाहिए।
1. आप कुंवारे हैं या शादी शुदा हैं ?
2. क्या आपकी कोई संतान है या आगे होगी ?
3. वे कौन सी बातें हैं ,जिनसे आपका करियर ख़त्म हो सकता है ?
4. यदि आप एक बिजनेसमैन हैं , तो आपके जैसे अन्य बिज़नेस कितने समय तक अस्तित्व में रह सकते हैं ?
5. क्या आपको आपकी नकद आय के लिए अपने निवेशों कि ज़रुरत पड़ती है ?
6. अपने निवेश पर आप कितना नुक्सान सहन कर सकते हैं ?
आप कितना जोखिम ले सकते हैं, यह तय करने बाद आप या तो रक्षात्मक निवेशक या उद्यमी निवेशक की श्रेणी में आ सकते हैं। अगर आप एक रक्षात्मक निवेशक हैं तो फंड को हाई–ग्रेड बॉन्ड और हाई–ग्रेड कॉमन स्टॉक में बाँट दें।
एक सामान्य दशा में स्टॉक और बॉन्ड के बीच 50-50 का बराबर बँटवारा करना चाहिए ।
ग्राहम मंदी के बाजार में आम स्टॉक में हिस्सेदारी बढ़ाने को कहते हैं क्योंकि तब स्टॉक कम दाम पर उपलब्ध होता है। इसके विपरीत, मार्केट लेवल के बहुत ज़्यादा बढ़ जाने पर आम स्टॉक के हिस्से को 50% से कम कर देना चाहिए।
ग्राहम, रक्षात्मक निवेशक द्वारा स्टॉक चुनने के लिए नीचे दी गई सलाह पर अमल करने को कहते हैं , जिसके लिए कुछ सिद्धांतों का पालन किया जा सकता है :
1. ऐसी छोटी कंपनियों को छोड़ दें जो ज्यादा अस्थिर होती हैं ।
2. इन्डस्ट्रीयल फर्म के लिए उनकी चालू संपत्तियाँ, चालू देनदारियों से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए।
3. लंबी अवधि वाले ऋण, शुद्ध चालू संपत्तियों (Net Current Assets) से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
4. पब्लिक यूटिलिटी के लिए, ऋण, इक्विटी के दुगने से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।
5. पिछले 10 सालों में, हर साल अच्छी कमाई , पिछले 20 सालों से बिना रूकावट का डिविडेंड (Regular Dividend paying stock since last 20 years) , पिछले दस सालों में प्रति शेयर आय में कम से कम एक तिहाई की बढ़ोतरी ,शुरुआत और आखिर में तीन साल के औसत का इस्तेमाल करते हुए कीमत और कमाई का अनुपात (Price to Earning Ratio) पिछले 3 सालों की औसत आमदनी का 15 गुना से ज़्यादा नहीं होना चाहिए ।
6. कीमत और पिछली रिपोर्ट के बुक वैल्यू का अनुपात (Price to book Value) 1.5 गुना से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। हालांकि, 15 से नीचे का कम PE Ratio , अधिक Price to Book Ratio को उचित ठहरा सकता है। लेकिन PE Ratio x PB Ratio < 22.5 से ज़्यादा नहीं होना चाहिए ।
आगे, ग्राहम उद्यमी निवेशक के लिए स्टॉक चुनने के सिद्धांतों के बारे में बताते हैं:
वित्तीय स्थिति:
1. Current Assets > 1.50 X Current Liabilities
2. इन्डस्ट्रीयल कंपनी के लिए ऋण, शुद्ध चालू संपत्ति (Net Current assets) के 110% से ज़्यादा नहीं होना चाहिए ।
3. आमदनी की नियमितता यानि पिछले पांच वर्षों में कोई क नुक्सान (Loss) नहीं होनी चाहिए
4. डिविडेंड रिकॉर्ड: कुछ मौजूदा डिविडेंड होना चाहिए ।
5. आमदनी में बढ़ोतरी: आमदनी में लगातार बढ़ोतरी होनी चाहिए ।
6. कीमत < शुद्ध वास्तविक संपत्ति के 120% से कम होनी चाहिए ।
ग्राहम बताते हैं कि, अच्छे पेशेवर निवेशक स्टॉक के शेयर की कीमत कम होने पर उनमें दिलचस्पी लेते
हैं, ना कि बढ़ने पर । रोज़ाना की नई 52-वीक लो की सूची को देख कर शुरुआत करना अच्छा तरीका है।
स्टॉक और बॉन्ड को कैसे जाँचे

किताब का अगला भाग स्टॉक और बॉन्ड को जाँचने के तरीके को बताता है।
बॉन्ड को जाँचते समय देखना होगा कि, मौजूदा आय ने कुल ब्याज को कितनी बार कवर किया है। ग्राहम पिछले कम से कम 7 सालों के इस डेटा को देखने का सुझाव देते हैं। दूसरी ओर स्टॉक के लिए हमें, बिज़नेस वैल्यूएशन और वर्तमान कीमत, जिस पर स्टॉक मार्केट में कंपनी ट्रेड कर रही है, से तुलना करनी होगी।
ग्राहम इस बात पर भी ज़ोर देते हैं कि हमें हमेशा सुरक्षा मार्जिन ( Margin of Safety) को भी ध्यान में रखना चाहिए। स्टॉक को उसकी वास्तविक कीमत से कम पर खरीदना। फिर वे उन चीज़ों के बारे में बात करते हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि एक उद्यमी निवेशक को किसी स्टॉक के लिए कितना भुगतान करना चाहिए:
कंपनी की लंबी अवधि की संभावनाओं पर नज़र डालें– क्या है जो इस कंपनी को आगे बढ़ाता है? ,इस कंपनी का मुनाफा कहाँ से आता है और कहाँ से आएगा?
हमने सीखा है की हमें हमेशा उन कंपनी को ढूँढना चाहिए जो:
1. Competative Advantege: वो कंपनी जो प्रतिस्पर्धात्मक तौर से आगे हो ।
2. Prefer to Run Marathon : वो कंपनियां जो लंबे समय तक टिके रहने की क़ाबलियत रखती हैं ,न कि थोड़े समय तक ।
3. Focuses on What its Sowing : वो कम्पनिया जो उनके भावी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं
इसके अलावा ग्राहम हमें एक और बात पर ध्यान लगाने को कहते हैं , वो है कंपनी की प्रबंधन क्षमता , इसके लिए
1. ऐसे मैनेजमेंट को ढूंढे जो वही कहते हैं जो वे करते हैं और वही करते हैं जो वे कहते हैं।
2. अच्छा मैनेजमेंट असफलताओं को स्वीकार करता है और उनकी ज़िम्मेदारी लेता है।
इसके अलावा कंपनी की वित्तीय क्षमता और पूँजीगत ढाँचे को न भूलें
1. एक अच्छा व्यापार जितना नकद खर्च करता है उससे ज़्यादा कमाता है।
2. स्टेटमेंट ऑफ़ कैश फ्लो देख कर पता लगाएँ कि क्या पिछले 10 सालों में कैश फ्रॉम ऑपरेशन लगातार बढ़ा है?
3. डिविडेंड रिकॉर्ड को देखें– उच्च–गुणवत्ता वाली कंपनियों की सबसे ठोस जाँच में से एक पिछले सालों में डिविडेंड पेमेंट का निर्बाध रिकॉर्ड है ।
इसके अतिरिक्त ग्राहम बताते हैं कि ,भविष्य की अनदेखी न करें और एक लंबी–अवधि के विचारक बनें । लंबी–अवधि की तरफ देखने से कंपनी के भविष्य की बेहतर झलक मिलती है।
1. फुटनोट्स को ज़रूर देखें ।
2. ज़्यादा रेवेन्यू दिखाने की एकाउंटिंग नीति रखने वाली कंपनियों से सजग रहें। ये खतरे की घंटी है जो बड़े नुकसान वाली होती है।
3. ऐसी कंपनी से सजग रहें जो ज़रूरत होने पर भी रेवेन्यू के लिए खर्चों को चार्ज नहीं करती है। इसके बजाय, वे इन खर्चों को कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में मानते हैं , जो कि शुद्ध आय में कमी के बजाय कंपनी की कुल संपत्ति को बढ़ाते हैं।
सुरक्षा का मार्जिन - सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा Margin of Safety

इसके बाद ग्राहम एक बेहद ज़रूरी अवधारणा के बारे में बात करते हैं। सुरक्षा मार्जिन ( Margin of Safety)
इस किताब के ज़रिए, ग्राहम दुनिया को सुरक्षा के मार्जिन की अवधारणा के बारे में बताते हैं। स्टॉक निवेश में सुरक्षा के मार्जिन का मतलब है, कंपनी की वास्तविक कीमत और इसे खरीदने के लिए हमारे द्वारा चुकाई गई कीमत के बीच का अंतर।
खरीद मूल्य को तय करना और सिर्फ इसी कीमत या इससे कम पर खरीदने का नियम बनाना एक ऐसी चीज़ है जो इसे मुश्किल बनाता है।
वास्तविक कीमत से कम कीमत, एक मामूली स्टॉक को भी बड़े निवेश के अवसर में बदल सकती है। सुरक्षा का मार्जिन जितना ज़्यादा होगा, पैसे का नुकसान होने से पहले हमारे पास उतना ही ज़्यादा अवसर होगा। अगर भविष्य में चीज़ें वैसी ही होती हैं जैसी हमने उम्मीद की थी, तो निवेश से मिलने वाला फायदा भी बहुत ज़्यादा होगा।
सुरक्षा का मार्जिन जितना ज़्यादा होगा , चीज़ें ख़राब होने पर पैसे का नुकसान होने से पहले उतनी ही ज़्यादा गुंजाईश हमारे पास होगी । दुर्भाग्य से दुनिया के बहुत से लोग किसी कंपनी के भविष्य का सही–सही अनुमान नहीं लगा पाते हैं। यहाँ हमेशा ही बहुत ज़्यादा भुगतान करने का जोखिम होता है। सुरक्षा मार्जिन होने का कारण यह अनिवार्य रूप से भविष्य के सटीक पूर्वानुमान को कम आवश्यक बनाना है।
विविधता (Diversification) “सुरक्षा के मार्जिन” का एक ज़रूरी अंग है , सुरक्षा के बड़े मार्जिन के साथ अलग–अलग शेयरों में निवेश करने से अवसर हमारे अनुकूल होंगे। जहाँ कुछ स्टॉक हमारी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे, वहीं बाकी दूसरे ऐसा नहीं करेंगे।
विविधता (Diversification) से सुरक्षा के मार्जिन का फायदा बढ़ सकता है। एक विविधतापूर्ण (Diversified) पोर्टफोलियो में औसत रिटर्न से ज़्यादा रिटर्न पाने की संभावना रहती है।
बेंजामिन ग्राहम द्वारा ये नियम बताए गए हैं , जो विश्लेषकों (Analysts) और निवेशकों (Investors) दोनों की मदद कर सकते हैं।
1. कीमत जानने के लिए किसी कंपनी की आय क्षमता का अनुमान लगाएँ।इसे सही तरीके से गुणा करके कंपनी के वास्तविक मूल्य का पता लगाएं ।
2. कमाई की क्षमता अगले पांच वर्षों में फर्म की कमाई का एक अनुमान है । इस दौरान फर्म की औसत कमाई का अंदाज़ा लगाएँ।ऐसा करने के लिए आप पिछले कुछ सालों के प्रदर्शन का औसत निकाल सकते हैं। फिर भविष्य में मिलने वाले मुनाफ़े और रेवेन्यू का अनुमान लगाएँ । पूंजीकरण में किसी भी बदलाव को दिखाने के लिए पिछले सालों की संख्या को एडजस्ट करें आपको ज़्यादा से ज़्यादा 20 और कम से कम 8 के गुणक का इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर अर्निंग पॉवर से निकली कीमत अचल संपत्ति की कीमत से ज़्यादा है, तो उसे अर्निंग वैल्यू चेंज में से घटा दें। ग्राहम द्वारा यह सुझाया गया है कि: उस राशि का एक चौथाई भाग घटाएँ जिससे अर्निंग–पॉवर की कीमत संपत्ति की कीमत से दो–गुना ज़्यादा है।
अगर ऐसी कीमत शुद्ध चालू संपत्ति से कम है, तो अर्निंग–पॉवर पर मापी गई कीमत में अंतर का 50% जोड़ें।
3. असामान्य घटनाओं, जैसे युद्ध, छोटी–अवधि की रॉयल्टी या किराया, के समय उसके हिसाब से कीमत को एडजस्ट करें
4. बॉन्डहोल्डर्स, स्टॉकहोल्डर्स या प्रेफरेंस शेयरहोल्डर्स के बीच कीमत असाइन करें। इस कदम से पहले, कंपनी की कीमत की गणना करें यह मानते हुए कि इसका पूँजीगत ढाँचा केवल सामान्य स्टॉक था।
5. पूँजीगत ढाँचे में जितने ज़्यादा ऋण और प्रेफरेंस स्टॉक होंगे, आपको आँकी गई कीमत पर उतना ही कम भरोसा करना चाहिए। इस कीमत के आधार पर कुछ भी तय नहीं किया जाना चाहिए जब मूल्यांकन मौजूदा बाजार मूल्य से एक तिहाई ज़्यादा या कम होता है, तो आप इसके हिसाब से अपना निर्णय ले सकते हैं। अगर अंतर कम है, तो असेसमेंट करने के लिए आप अप्रैज़ल का सहारा भर ले सकते हैं।
निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर, आपके निवेश–काल के दौरान खराब निवेश करने की संभावना की 100 प्रतिशत गारंटी है।
इसलिए, ग्राहम मानते हैं कि एक समझदार निवेशक अपने आप को, बुरे निवेश से होने वाले किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए Margin of Safety का उपयोग करके , पहले से ही सुरक्षित कर लेता है। इसके साथ ही अपने पोर्टफ़ोलियो को स्थायी तौर पर विविधतापूर्ण (Diversified) रखने से, और यह पक्का करने से कि बाज़ार के उतार–चढ़ाव से कभी भी आप पर कोई असर न हो, आप खुद को, ख़राब निवेश से होने वाले बड़े नुकसान से बचा सकते हैं।
यह किताब बताती है कि आपको नियमितता, धैर्य और शांति के साथ निवेश करना जारी रखना चाहिए, क्योंकि इससे आप धीरे–धीरे अपने लंबी अवधि के फ़ाइनेंशियल लक्ष्यों को पाने की ओर कदम बढ़ाते रहेंगे। इसी के साथ हम इस किताब के सारांश के अंत में पहुँच गए हैं ,अगर आप एक समझदार निवेशक बनना चाहते हैं, लेकिन आपके पास रिसर्च करने और खुद से सही स्टॉक को ढूंढने का समय नहीं है,तो म्युच्युअल फंड, स्टॉक और बॉन्ड में निवेश करना सबसे अच्छा तरीका है।
इस किताब के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए आप विकिपीडिया पेज को भी इस लिंक के द्वारा पढ़ सकते हैं।
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